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Savita Singh

Tragedy

4.3  

Savita Singh

Tragedy

दर्द

दर्द

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आज फ़िर एक हूक सी उठी दिल में,

दर्द फिर बेचैन हुआ आँखों में उतर जाने को,

आँखों ने नकार दिया रास्ता देने से, वादा जो था

होठों ने निभाई अपनी कसम, दे दिया रास्ता दर्द को,

क्या देखा आपने दर्द को मुस्कुराते!


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