Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Lokanath Rath

Tragedy Classics

4  

Lokanath Rath

Tragedy Classics

दर्द......

दर्द......

1 min
196


कुछ खोने से दर्द तो होता है,

कुछ नेहीँ पाने से भी होता है

ये खोना और पाना एक अहसास है,

जो ना चाहते भी हमें कहता है


अब रो लो जरा,

तुम सोचो भी जरा

मन उदासी से भरा,

आंखे है आँशु भरा

कुछ खोने से दर्द तो होता है,

कुछ नेहीँ पाने से भी होता है


अगर कुछ खोकर कुछ पाना ही है,

तो फिर कियूँ कुछ पाकर खोते है ?

दिल टुटा टुटा लगता,

नशीब फूटा फूटा लगता

ये मन नेहीँ मानता,

उदाशीपन क्यूँ छा जाता?

कुछ खोने से दर्द तो होता है,

कुछ नेहीँ पाने से भी होता है


इतने भी तो क्या जो कम था,

अब ये नयी आपदा को आना था

कितनो की जान लिआ,

कितनो को और रुलाया

कितने बरबाद भी हुए,

क्या गुन्हा वो किए ?

कुछ खोने से दर्द तो होता है,

कुछ नेहीँ पाने से भी होता है


सारे डरके मारे घर पे बन्द है,

अपने भी अब दूर जा रहे है

पढ़ाई हों या ब्यापार,

सब है अब नाचार

सोचमे है अब सब,

खुलेगा ये बन्दी कब ?

कुछ खोने से दर्द तो होता है,

कुछ नेहीँ पाने से भी होता है


अब तो दर्द ही दर्द हों रहा,

हालात को देखो कैसे अब बिगड़ रहा

कोई छुपाने नेहीँ छुपता,

खून की आँसू बहता

जिरहे है अब ऐसे,

ये दर्द मिला कैसे ?

कुछ खोने से दर्द तो होता है,

कुछ नेहीँ पाने से भी होता है।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy