दर्द
दर्द
मन के सूने आँगन की
जब बगियाँ, पडी हो विरान कहीं ,
हो शब्द के फूल भी मुरझायें से,
तब दर्द आँखों में झलकता हैं।
विश्वास का मोती है अनमोल बहुत,
बेगानों को अपना कर जाता है,
जब टुटती है, अरमानों की कोई कड़ी, हौसला काफूर हो जाता है
सैलाब सा दिल में उठता है तब
और दर्द बातों में झलकता है।
जिंदा होने का एहसास है, दर्द,
और दुनियां में इसकी बिसात ही क्या?
अश्कों की बहती रवानी है,
जीवन कि मर्म कहानी है,
महसूस होने लगे जब स्पन्दन से
तब दर्द साँसो से झलकता है।
माने अगर तो जीवन में,
दर्द से बड़ा कोई मन-मीत नहीं,
गुमनामियों की भौंर का सूरज हैं,
इस जैसा कोई जीवन गीत नहीं।
पल-पल अपने संग जलता हैं,
हर पल बढने को कहता है।
हमको अपने से लगने वाले,
सब मंजर भी बदल जायें कभी,
दर्द ही है, जो साथ में चलता है,
दर्द ही है, जो साथ में रहता है।