दर्द खाब
दर्द खाब
मैं कागज़ में दर्द बयां नहीं करुगां
कुछ दिल के वारदात को लफ़्ज़ों में बयां नहीं करुगां ।
अगर खुदा ने इतनी बरकत दी है लिखने की तो
कुछ खूबसूरत लम्हे लिखूंगा,दर्दे बेबफाई का जिक्र नहीं करुंगा।
तू क्या जाने इस दिल पर क्या गुजरी,
ये राज़ भी दफ्न हो जाएगा, पर अब किसी और की ईबादत नहीं करुंगा ।