दरअसल
दरअसल
दरअसल कुछ नहीं कहना
अभी गर्मी बहुत अधिक है,
दरअसल ये भी है कि सोचो
तो मन बहुत उचाट रहता है,
दरअसल ये है कुछ कहो
तो तुम ध्यान भी नहीं देते,
दिक्कत ये हो गई है कि
जमाना भी बदल गया है,
दरअसल अब सबके पास
बहाने ढेर सारे हो गए हैं,
देर तक सोने का बहाना ये है
रात भर जागना ही पड़ता है,
दरअसल तुम समझते नहीं हो
फेसबुक से मन भर गया है,
जैसे कि सुबह का भूला
शाम को घर लौटता ही है।
