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Abasaheb Mhaske

Tragedy

4  

Abasaheb Mhaske

Tragedy

दोस्त ना रहा

दोस्त ना रहा

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दोस्त ! ढूँढू मैं तुम्हे कैसे और कहाँ ?

सुनसान सड़के , खुला आसमां

तुम तो चले गए हमें छोड़के यूँही

बची सिर्फ तस्वीर, यादें, खालीमन


दोस्त ! तुम तो थे हरपनमौला

हसमुख सीधे -साधे खुशमिजाज

तुम थे जरूरतमंद लोगो का सहारा

छोटासा परिवार तुम्हारा लेकिन बड़ा प्यारा


दोस्त ! खुद के सेहत का भी खयाल रखों

खेती बाड़ी दुनियादारी चलती रहेगी लेकिन

कहना मेरा हंसी - मजाक समझते थे

दोस्त ! काश ! मेरी बात मानी होती


दोस्त ! बिटिया की शादी धूमधाम से करेंगे

कहते थे मैंने कहाँ था यूँही मुझे भूल जावोगे

हंसकर कहां था आपने तुम्हे तो भांजी के

शादी में आठ दिन पहले ही आना होगा


दोस्त ! सबकुछ अधूरा रहा

वो सब अरमान, सपने ढेर सारे

हमेशा दुःख रहेगा बोझ बनकर

काश ! ऐसा ना होता, दोस्त ना रहा।


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