दोस्त ज़रूरी है
दोस्त ज़रूरी है
बात करने से पहले
सोचना पड़ता है....
अपनों संग रिश्तों संग
उलझ जाता है
दिल और दिमाग़
सोचने में
समझाने में
बोलने में...
मगर दोस्तों संग
ओए ! इधर आ
दिमाग़ बंद !
दिल खुल जाता है
हाथ भी खुलते हैं
ज़ुबान भी ...
हम हम बन जाते हैं
ठहाके और मस्ती
और सिर्फ
प्यार, घूसे और लात।
