दोराहे पे...
दोराहे पे...


आज आप यक़ीनन
ज़िन्दगी की इस
कशमकश -भरी
मुश्किल से दोराहे पे
चिंतित खड़े हैं...
बेशक़ आपको ये एहसास तो
होता होगा कि
इस नसीब की बातों का
कोई ठौर-ठिकाना नहीं...
किसे क्या देकर परखे
और किससे क्या छीन ले --
ये कोई नहीं जानता....!
मगर फिर भी यहाँ
हरेक इंसान को
अपना-अपना कर्म
करते हुए आगे बढ़ना है...
आज अगर अपने हाथ
खाली हो तो, कोई मलाल नहीं...
कल का आफ़ताब ज़रूर
आपके लिए एक नया
सवेरा लेकर आएगा...!!!