दोहरी जिंदगी
दोहरी जिंदगी
मेरा मन हमेशा से
बास्केटबॉल प्लेयर
बनना चाहता था,
पर मज़बूरियों ने मुझे
ऑफिस जाने के लिए
मजबूर कर दिया।
मैं जाता जरूर हूँ
ऑफिस रोज
पैसे भी कमाता हूँ,
पर सच्ची खुशी
मुझे दिल से
महसूस नहीं
कर पाता हूँ।
जो बास्केटबॉल
खेलकर
महसूस करता हूं,
अब तो सपना ही है
जो दिल मे रोज
पैदा होता है।
और दिमाग में
मर जाता है
इस दोहरी जिंदगी से
मैं बहुत थक गया हूँ।
