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Dr J P Baghel

Tragedy

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Dr J P Baghel

Tragedy

दोहे सुल्तानी

दोहे सुल्तानी

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फौज नहीं हमला नहीं, तोप न तीर कमान,

फिर भी चौतरफा घिरा, दिल्ली का सुल्तान ।१


सड़क खोद खाई करीं, आते दिखे किसान 

देख लिया इस देश ने, ऐसा भी सुल्तान ।२


भरी ठंड में सह गए, जो पानी के बान 

अश्रु गैस कैसे उन्हें, रोकेगी सुल्तान ।३


इधर अन्नदाता उठा, जुटा मुट्ठियां तान 

उधर आरती कर रहा, गंगा की सुल्तान ।४


मिला नहीं दहलीज पर, बैठे रहे किसान 

बतखों तोतों मोर में, व्यस्त रहा सुल्तान ।५


लगातार होता रहा, आरोपित ईमान 

अपनी जिद पर ही मगर, अड़ा रहा सुल्तान ।६


दिखा रहे हो क्यों उन्हें, अकड़ और अभिमान 

जिनके बल पर हो बने, भारत के सुल्तान ।७


कौन तुम्हारा प्रभु कहां, फंसी तुम्हारी जान 

इसका पता किसान ने, लगा लिया सुल्तान ।८


खाली हाथ किसान के, जिसके पूत जवान 

खड़े कराकर सामने, लड़ा रहा सुल्तान ।९


इतना बोले झूठ तुम, जगत हुआ हैरान 

क्यों किसान अब झूठ को, सच मानें सुल्तान ।१०


हुआ नहीं कोई बड़ा, कुदरत से बलवान 

तड़पे हैं मरते समय, बड़े-बड़े सुल्तान ।११


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