दोहे 3
दोहे 3
दुख कौन सा है तुझे,क्यों रहे तू उदास।
जैसा भी संकट पड़ा,कर देंगे हर नाश।।
गिरते को संभाल ले,है सबका तू सबका मित्र।
विष पिया हंसता रहा,बाबा बड़ा विचित्र।।
दुख कौन सा है तुझे,क्यों रहे तू उदास।
जैसा भी संकट पड़ा,कर देंगे हर नाश।।
गिरते को संभाल ले,है सबका तू सबका मित्र।
विष पिया हंसता रहा,बाबा बड़ा विचित्र।।