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मिली साहा

Abstract Inspirational

4.7  

मिली साहा

Abstract Inspirational

हर किरदार में सशक्त है नारी

हर किरदार में सशक्त है नारी

2 mins
387


शिकायत क्या करूं किसी से बात बस इतनी सी कहनी है,

हर युग में नारी क्यों सवालों के कटघरे में खड़ी हो जाती है,

बिना किसी गुनाह के भी वो हर बार गुनाहगार कहलाती है।।


विश्वस्वरूपा, जगजननी है नारी, इसने ही तो रचा यह विधान है,

एक स्त्री, एक औरत होना स्वयं में गर्व की बात है, सम्मान है,

शक्ति रूप है, फिर क्यों दुनिया कहती नारी कमजोर होती है।।


पौरुष अहंकार समझ ही नहीं पाता कभी नारी की महानता को,

आज ये दुनिया, ये समाज सवाल उठाता है नारी के संस्कारों पर,

क्यों भूल जाता समाज, नारी ही तो संस्कारों की प्रति मूर्ति होती है।।


प्रत्येक किरदार में सशक्त है नारी, हर परिस्थिति से लड़ना जानती है,

फूलों सा कोमल हृदय है उसका पर मन से चट्टान सी सुदृढ़ होती है,

समझो नारी को उसके सपनों को तो वो आसमान भी छू सकती है।।


जिस प्रकार जोसफ ने समझा मैरी को, पग पग पर उसका साथ दिया,

मैरी के गर्भावस्था के दौरान कठिनाइयां झेली, पर साथ कभी ना छोड़ा,

अस्तबल में साथ बिताया समय जब रहने को कोई और स्थान न मिला।।


प्रकाशित हुआ ममता का अंकुर मैरी ने ईश्वर के पुत्र को जन्म दिया,

धन्य है वो माता जिसने इतने कष्टों को सह कर भी हारना नहीं सीखा,

धन्य है वो नारी जिसने प्रभु ईसा मसीह को धरा पर अवतरित किया‌‌।।


मां स्वरूप तो ईश्वर का वरदान है, हर नारी में मरियम बसती है,

ममता का सागर है नारी का हृदय, करूणा की वो मूरत होती है,

रीति-रिवाजों में बंधकर भी अपना हर कर्तव्य निष्ठा से निभाती है।।


पत्नी रूप में पति की प्रेयसी बन पग-पग पर साथ निभाती है,

बहन बन मान बढ़ाती भाई का बेटी रूप में पिता का गौरव होती है,

बहू बनकर आती है नारी अपने संस्कारों से घर को सजाती है।।


चाहे कोई भी हो किरदार नारी उसमें खुद को बखूबी ढाल लेती है,

कभी गुरु तो कभी सखा रूप में आकर जीवन सुरभित कर देती है,

कभी दुर्गा स्वरूपा, कभी लक्ष्मी, तो कभी काली भी बन जाती है।।


देवी रूप में पूजी जाती नारी पवित्रता की परिभाषा कहलाती है,

फिर क्यों हर युग में अग्नि परीक्षा के लिए खड़ी कर दी जाती है,

बिना किसी गुनाह के भी वो क्यों हर बार गुनाहगार कहलाती है।।



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