दोहे 4
दोहे 4
राम नाम रस गंग में
कर ले विचरण हंस ।
भूल अहम कर दे क्षमा
मिल जाएंगे पंख।।
जब बाबा काशी गए
गौरा भयी अधीर।
अन्न, अंबु, घर तज दिया
अक्ष बहे झर नीर।।
राम नाम रस गंग में
कर ले विचरण हंस ।
भूल अहम कर दे क्षमा
मिल जाएंगे पंख।।
जब बाबा काशी गए
गौरा भयी अधीर।
अन्न, अंबु, घर तज दिया
अक्ष बहे झर नीर।।