सिगरेट
सिगरेट
जवानी जल गई सिगरेट जलाते -जलाते
शहर धुआँ हो गया मशालें बुझाते-बुझाते
शौक बहुत गए बहुत आए तुझमें मगर
अबके दूर आ गए रिश्ता निभाते-निभाते
मुझसे नराजगी रहती ज़रा-सी बात पर
बदल गए इसको लब से लगाते-लगाते
मालूम है, अब आदत लग गई इसकी
हर याद को धुएँ से छिपाते -छिपाते
आदत छोड़ो भी फ़िक्र ऐसे मिटाने की
बहुत मिट गए ऐसे ग़म मिटाते-मिटाते।