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Vijendra Dudi

Abstract Inspirational

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Vijendra Dudi

Abstract Inspirational

सिगरेट

सिगरेट

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जवानी जल गई सिगरेट जलाते -जलाते

शहर धुआँ हो गया मशालें बुझाते-बुझाते


शौक बहुत गए बहुत आए तुझमें मगर

अबके दूर आ गए रिश्ता निभाते-निभाते


मुझसे नराजगी रहती ज़रा-सी बात पर

बदल गए इसको लब से लगाते-लगाते


मालूम है, अब आदत लग गई इसकी

हर याद को धुएँ से छिपाते -छिपाते


आदत छोड़ो भी फ़िक्र ऐसे मिटाने की

बहुत मिट गए ऐसे ग़म मिटाते-मिटाते।



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