दो कदम और चल साथी
दो कदम और चल साथी
दो कदम और चल साथी, घबराना नहीं।
नहीं है दूर अब मंजिल,ठहर जाना नहीं।
अंधेरी रात है बेशक, सेहर यकीनी है । अंधेरा देखकर मायूश हो , डर जाना नहीं।
पीछे मुड़कर जो देखा, तो बहक जाओगे । आँखे नम करके, हस्ती, कभी मिटाना नहीं।।
रंजो- ग़म और मायूशी,फ़ना करती हैं।खिजां के बाद बहारें हैं,भूल जाना नहीं।
तेरा मुकाम है आगे, बहुत ज़माने से।गफलत में कहीं हमदम, पिछड़ जाना नहीं।
तेरे हर ज़ख्म का मरहम हूं मैं, ए मेरे हमदम। आगे बढ़ साथ हूँ हरदम, ठहर जाना नहीं।।
मेरी पाक मौहब्बत की,कसम है तुमको।अश्क आँखों में "उल्लास",कभी लाना नहीं।