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Neelam Sharma

Tragedy Inspirational

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Neelam Sharma

Tragedy Inspirational

दो गज प्रकृति

दो गज प्रकृति

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दो हाथों की अंजुरी में सहेजती प्रकृति परिवेश,

मानव तेरे स्व-लोभ में घर-नगर बचे, न ही देश;

हाहाकार मचा धरा, नहीं जल-उपवन-अन्न शेष;

क्यूँ तू प्रलय लाने तुला, धरा क्यूँ मनु दानव भेसI


नीलम-अंबर नीली-नदी, सब लुप्त हुए संग अग्नेश;

अब कौन तारेगा वसुंधरा, सोच में ब्रह्मा-विष्णु-महेशI


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