हाहाकार मचा धरा, नहीं जल-उपवन-अन्न शेष; क्यूँ तू प्रलय लाने तुला, धरा क्यूँ मनु दानव भेस... हाहाकार मचा धरा, नहीं जल-उपवन-अन्न शेष; क्यूँ तू प्रलय लाने तुला, धरा क्यूँ मनु...
न आराध्य की आराधना में हिय विलीन स्व-मंथना में।। न आराध्य की आराधना में हिय विलीन स्व-मंथना में।।
अपने संस्कारों की जमीन से जुड़े होते है वे लोग। अपने संस्कारों की जमीन से जुड़े होते है वे लोग।
जिनमें माँ का प्यार और बाप का दुलार मैं माँगता हूँ वो बिफिक्रे उड़ान वो बेलगाम ज़िन्दगी मैं वापस च... जिनमें माँ का प्यार और बाप का दुलार मैं माँगता हूँ वो बिफिक्रे उड़ान वो बेलगा...
निज लोभ बढ़ा मानव मन, अधर्म हुआ विकसित... निज लोभ बढ़ा मानव मन, अधर्म हुआ विकसित...
मन को जो भी जीत ले, वही जीव है धन्य मोह जाल में घूमते, बाकी सारे अन्य। मन को जो भी जीत ले, वही जीव है धन्य मोह जाल में घूमते, बाकी सारे अन्य।