Preeti Singh

Others

5.0  

Preeti Singh

Others

मैं माँगता हूँ

मैं माँगता हूँ

1 min
576


वो बुलन्द मुकाम वो खुला आसमान मैं मांगता हूँ 

वो सूरज की किरण वो चाँद की चाँदनी मैं माँगता हूँ ,

वो ऊचाँइयों की सरहदें वो समन्दर की लहरें मैं माँगता हूँ ,

वो क़ामयाबी की सेज वो जगमगाहट का तेज़ मैं माँगता हूँ ,

वो हुनर का ताज़ वो जीत का आगाज़ 

वो उज्याली की शुरुआत वो अंधेरे का अंत मै मांगता हूँ ,

वो खेतों की सरसराहट वो फूलों की खिलखिलाहट मैं माँगता हूँ ,

मैं माँगता हूँ कुछ बचपन के पल 

जिनमें माँ का प्यार और बाप का दुलार मैं माँगता हूँ 

वो बिफिक्रे उड़ान वो बेलगाम ज़िन्दगी मैं वापस चाहता हूँ ,

मैं तेरी वही इंसानियत तुझमें ज़िन्दा देखना चाहता हूँ ,

तेरे लोभ तेरे लालच का अंत मैं मांगता हूँ ,

डर मत नासमझ मैं तो बस चंद लम्हें आज़ादी के 

चंद पल तेरी मेहमान नवाज़ी के मांगता हूँ। 


Rate this content
Log in