Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Preeti Singh

Abstract

5.0  

Preeti Singh

Abstract

आगाज़ बनने आया हूँ मैं

आगाज़ बनने आया हूँ मैं

1 min
313


ज़िन्दगी के सफ़र में घिरा हूँ में

कई सवालों से भी डरा हूँ में

हारने से डरता नहीं बस

लड़खड़ाने लगा हूँ में

ये सफ़र की शुरुआत थी

जिससे अभी अनजान हूँ में

मंज़िल की चाहत में

बेखौफ बेलगाम हूँ में

बस कल क उस भविष्य का

आगाज़ बनने आया हूँ में

हर छोर की उस हवा में

बसा वो जोश हूँ में

रुका ना कभी ना डरा हूँ में

कल की गलतियों से सीख कर

इतिहास रचने चला हूँ में

घिरा था जिन सवालों में

कल उनके जवाब बनके आया हूँ में

हाँ जी कल उस भविष्य का

आगाज़ बनने आया हूँ में

ना रोक सकोगे न

झुका सकोगे क्यूंकि अब निर्भय हूँ में

जीने की उम्मीदों को

उठाये हुए फिर खड़ा हूँ में

मुश्किलों से तो

हर वक़्त बखूबी लड़ा हूँ में

इसलिए कल के उस भविष्य का

आगाज़ बनने आया हूँ में

जीत का मोहताज़ नहीं

बस कामयाब बनने आया हूँ में

नए सफ़र की

हर चुनौतियों से लड़ने आया हूँ में

नमन है सबको मेरा शीश झुकता हूँ में,

बस तुम्हारी छाया में कल के

उस भविष्य का आगाज़ बनने आया हूँ में.....


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract