दो बहनों की सीख
दो बहनों की सीख
किसी की देखा-देखी आजीवन सुपथ कभी न छोड़ो,
सदा ही निज दायित्व निर्वहन करें हम सब हर हाल।
निज आचरण-व्यवहार से हम सबको ये सिखाकर,
छोड़ बिलखते परिजन-प्रियजन तोड़ मोह जंजाल,
स्वर्ग गईं दो बहनें प्यारी पद्मश्री और बीना करवाल।
लगभग शत लोगों का है विद्यालय कुटुम्ब हमारा,
पर आप दोनों का अनुकरणीय आचरण था न्यारा।
बड़ी जरूरत थी प्रिय बहनों हम सबको ही तुम्हारी,
अकस्मात भगवन ही रूठे जो वज्र ये गिरा अकाल,
स्वर्ग गईं दो बहनें प्यारी पद्मश्री और बीना करवाल।
न प्रभु रूठे न तुम रूठीं ,किस्मत हम सबकी रूठ गयी,
दोनों मुट्ठियां खाली हो गईं ,अनमोल मणियां तो छूट गयीं।
भाषा-संगीत रहित हुए हम सब ही ,पूरी न हो पाए ये हानि,
प्रार्थना के स्वर प्रभु तक न पहुंचे,हम सबको है यही मलाल,
स्वर्ग गईं दो बहनें प्यारी पद्मश्री और बीना करवाल।
प्रभु की शरण रहो भगिनी तुम दोनों ,वापस इस लोक न आना,
तव पद चिन्हों का अनुगमन करेंगे हम सब ,बदले लाख ज़माना।
नश्वर देह ही तो अब नहीं संग अपने, पर अमर आदर्श रखेंगे साथ,
यादों में तुम्हें हम अमर रखेंगे, पुण्य आत्मा को मिटा सके न काल,
स्वर्ग गईं दो बहनें प्यारी पद्मश्री और बीना करवाल।