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Aishani Aishani

Abstract Fantasy

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Aishani Aishani

Abstract Fantasy

दिसंबर को विदा करते हैं..!

दिसंबर को विदा करते हैं..!

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वो जा रहा है तो क्या हुआ अपना था

चलो हँस कर दिसंबर को रुख़सत करते हैं। 

अगले मोड़ पर नये कलेवर में 

सज धज खड़ी जनवरी

आशाओं के कुमकुम चंदन से 

उसका स्वागत करते हैं


रह गए जो सपने अधूरे हमारे तुम्हारे

उत्साह से चलो अगले मोड़ पर पूरा करते हैं

नये कलेवर में सज धज खड़ी जनवरी

आशाओं के कुमकुम चंदन से तिलक करते हैं

चलो हँस कर दिसंबर को रुख़सत करते हैं।



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