दिलों का साम्राज्य
दिलों का साम्राज्य
हदें जब पार होतीं हैं साम्राज्य की,
तब होता है कितना ही नुकसान।
लालच बढ़ती है जब हदों की,
जाती है कितने मासूमों की जान।
लड़ाई, झगड़ा और खून खराबा,
कर लेता है सबका जीना हराम।
लालच वो बला है जो किसी को,
करने नहीं देती है कभी आराम।
सार्वजनिक संपत्ति और स्थलों का,
हो जाता है बिलकुल काम तमाम।
जीना हो जाता है मुश्किल सबका,
जब छिड़ जाता है कोई संग्राम।
साम्राज्य अपना बढ़ाना ही है अगर तो,
है एक नेक सलाह बिल्कुल ही बेदाम।
जीतो इंसानियत से हर किसी के दिल को,
और बनाओ सब के दिलों में अपनी पहचान।
धन दौलत और जमीं की हदों से बढ़कर भी,
इंसानियत का है एक अपना नाम।
क्यों कि वक्त पड़ने पर हमेशा ही,
आता है इंसान ही इंसान के काम।
धन दौलत तो रह जानी है सारी यहां ही,
मौत का जब आएगा इक दिन पैगाम।
इंसानियत की होगी अगर जो नेक कमाई,
तो कट जाएंगे शायद सिर के कुछ इल्ज़ाम।