तुम्हें जगाने आया हूँ
तुम्हें जगाने आया हूँ
जागो भारत के गण जागो तुम्हें जगाने आया हूँ
तन्त्र रच रहा षड्यन्त्र जिन्हें, उन्हें मिटाने आया हूँ,
उठो उठो जागृत जिज्ञासा
पूछो सवाल
मैं मौन तोड़ने आया हूँ
मुर्दा खामोशी तोड़ो
कई निरुत्तरीत यक्ष प्रश्न मैं लाया हूँ,
अधिकारों के चार्टर उठ जाओ
संविधान के आख्यान पढ़ो
जो कर बैठे हैं अतिक्रमण आज़ादी का
उनके विरुद्ध श्वेत पत्र मैं लाया हूँ,
जागो समता के सर्व सूत्र जागो
वर्ग - विभेद विकराल बड़ा है
धर्म - कर्म की आड़ में तो जैसे महाकाल खड़ा है
जीव मात्र का गरिमा गान करो
जो भूल गए हैं उपदेशों के भाषा
उनके विरुद्ध राजदण्ड मैं लाया हूँ,
जागो गार्गी के शास्त्रार्थ
जगो अगस्त्य के दिव्यास्त्र
विधुर नीति तुम जागो
भीष्म फिर एक प्रतिज्ञा साधो,
जागो पुरुषोत्तम की मर्यादा
कृष्ण क्रांति तुम जागो
फिर एक विवेकानन्द ला दो,
जागो गांधी के राम राज्य
भगत सिंह की शक्ति जागो
जागो बिस्मिल, बोस, पटेल
लाल - बाल - पाल तुम जागो ,
घर घर में
अंत्योदय - सर्वोदय तुम ला दो
युग युग से पीड़ित मानवता का
मांग पत्र मैं लाया हूँ,
जागो मध्यरात्रि के महास्वप्न
कर्म राग अब तुम गाओ
अपहृत आज़ादी के अरमानों
का आहत आर्तनाद मैं लाया हूँ
जागो भारत के गण जागो तुम्हें जगाने आया हूँ...