नीति वाक्य
नीति वाक्य
रामू रावण या राम बने आचरण एक आधार
जग आचरण देखकर ही पदवी देत विचार
अनुशासन से जीवन कसे, मन पर अधिकार
अन्तर ते यदि मानुष भला,जग होत उजियार
करन हार कोई और है कर्म ही तेरे हाथ
समय पर कारज कर, सोच क्यों धरे माथ
सुमति में उन्नति बसे मन प्रसन्न चहू मास
कुमति से मर्यादा घटे घर पर कलह वास।
