तो क्या...
तो क्या...
जंगलों की संख्या को चलो बहाल किया जाए
इंसान को जंगल होने से पहले रोको तो ज़रा।
मां के प्यार का मोल चुकाओगे क्या
इक रात गीले बिस्तर पर सो कर देखो तो ज़रा।
सूरत की ख़ूबसूरती बढ़ाने से क्या होगा जनाब,
कभी सीरत को सुंदर बनाकर तो देखो तो ज़रा
सफेद लिबाज़ पहन से मन उजले होते नहीं,
मन की कलीख को मिटाओ देखो तो ज़रा।