मेरी मिट्टी
मेरी मिट्टी
मिट्टी के लिए लहू बहाकर
मिट्टी पर कुर्बान हुआ हूं
आखिरी सांस तक लड़कर
मैं अपनों के लिए कुर्बान हुआ हूं।
वतन के लिए फर्ज मेरा
मैं पूूूरा न कर सका
रह गया वो वादा अधूरा
जो मिट्टी के लिए निभा न सका।
मेरे लहू मेेे अश्कों में
सिर्फ इतना दर्द गूंज रहा
ए खुदा मेरे मुझे तू वतन के लिए
और सांसें क्यों न दे सका।
वतन के लिए मेरी
मैं अपनी सौ जाने लूंटा दूं
हर जन्म में आखरी सांस तक
मिट्टी का मेरी मैं पहरेदार रहूं।
ए मेरे वतन तू
ऐसे ही आबाद रहे
मैं रहूं या ना रहूं
तू ऐसे ही आजाद रहे।