दिल की चाहत
दिल की चाहत
यह दिल भी कितना पागल है। यह प्यार हमी से करता है। छोटी-छोटी खुशियों पर
खुश हो जाना सिखाता है।
मां बाप के दिए संस्कारों को
यह भूलने नहीं दे जाता है।
मन तो मन है मानता ही नहीं है।
अपनी मनमानी कर
कभी-कभी गुमशुदा हो जाता है।
जो काम कभी हमने सोचे थे
वह काम याद दिलाता है ।
वह काम करने के लिए
हमारे मन को मजबूत कर जाता है।
स्वरचित कविता
