जागो वीर सपूतो
जागो वीर सपूतो
उठो, जागो हे वीर सपूतों,
कुछ नया सा काम है,
बनो आज तुम युग सेनानी,
आया महासंग्राम है,
न देखो अब राह किसी की,
कि कोई नवयुग लाएगा,
जगा लो आज खुद को,
तभी नव परिवर्तन आएगा।
जागो जागो हे वीर सपूतों,
समय की यह पुकार है,
तज दो आज सब बैर भाव,
करना नवनिर्माण है,
चलो आज नव उपवन बनाना है,
बन खुद ही वृक्ष,
अब धरा को सजाना है,
प्रेम सदभाव से अब
जन जन को सजाना है
मनोभूमि ही है धरातल,
सत्कर्म कुछ उपजाना है,
त्याग, तप, तितिक्षा से,
कुंदन ही बन जाना है,
वक्त नया है, काज नया है,
बनाना कुछ नया सा जहाँ हैं,
चलो फिर कुछ नव सृजन करते है,
खुद में ही एक महापरिवर्तन करते है।।