बीस- इक्कीस- बाइस
बीस- इक्कीस- बाइस
दहशत और मातम में गुजरा साल दो हजार बीस,
खट्टी- मीठी यादें देकर कितना अच्छा लौट रहा था इक्कीस !
इतने में जाते - जाते ओमिक्रान ने दस्तक
देकर मन को पहुँचाई आखिरी वक्त पर बहुत बड़ी टीस।
मगर हर बार की तरह इस बार भी हम अपनी संयम,
समझदारी से पायेंगे इसबार भी इसपर जीत
शत्रु भले ही अदृश्य हो मगर हम अपनी संकल्प,
सूझबूझ और साझेदारी को इससे लड़ने में बनायेंगे अपना मीत।
पूरा करने हमारी हर अधूरी ख़्वाहिश,
आ गया है उम्मीदों का वर्ष दो हज़ार बाईस।
करेंगे इस साल सफलता के लिए हम जोर आजमाईश,
मेहनत के सिवा अब बचा नहीं कोई दूसरा हमारे पास च्वाईस।
दहशत में सिसकती हुई वो बहरी- सी हमारी वाॅयस,
चारों तरफ नेताओं का गूंज रहा जुमलों की नाॅयस।
पूरा करने में जुटें हम हमारी आजादी की अधूरी ख़्वाहिश।
ये वर्ष आ गया है उम्मीदों का वर्ष दो हज़ार बाईस।।