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अधिवक्ता संजीव रामपाल मिश्रा

Abstract Action Inspirational

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अधिवक्ता संजीव रामपाल मिश्रा

Abstract Action Inspirational

सत्ता और नवीशी में

सत्ता और नवीशी में

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नित नित हुई धर्म की हानि,

कौन सी सुने सुनाये कहानी।

पहले एक राजा की थी कहानी,

अब जन जन की है रवानी।

पहले वीरों की गाथा थी विचार,

अब कायर ढोंगियों का है प्रचार।

पहले एक था संत समाजू,

अब घर घर बैठा ठंड ज्ञानू।


पहले थी तलवारों में धार,

अब है जाति का होशियार।

पहले था राजा रंक,

रंक बना था राजा,

अब राजा की बात रंक,

गुंडा बना फिरता संत।

कहां से लाऊं क्रांत,

रस भर दूं विक्रांत,

कविता और कहानी में।

बंद करो लहरा नागिन सा,

सत्ता और नवीशी में,

मंच सजा तबलमंजनी का।



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