दिल की बातें दिल हीं जाने
दिल की बातें दिल हीं जाने
वो दिल की बातें क्या है छिपा रहा राज़ उसमे ये बात कौन जाने किसको पता
किसको होता इसका पता की है क्या किसके दिल किसके लिए कितनी भावनाएं
कौनसी भावनाएं कौन दिखाए क्या वाकई वही भावनाएं अपने दिल में करता वो मेहसूस है
ये बात कौन जाने की आखिर है क्या पूरा सच की है क्या
उसका दिल साफ जो दिखता है अपने आप को बड़ा दिलवाला
क्यों की बड़ा दिलवाला बड़े लोग तो कहा सिर्फ और सिर्फ उसे हीं जाता है जिसका दिल बड़ा हो
जो छिन्ना नही हासिल करना नही या फिर मांगना नहीं देना जानता हो सबकी परवाह करता हो
ये सब क्या इंसान जान है पाता की आखिर क्या है अपने लिए मन में उसके या फिर अपने मन में दूसरों के लिए
दूसरे तो सिर्फ और सिर्फ येन्ही जान पाते हैं जो हम दिखाते जो हम दिखना चाहते हैं
वो नही की हम असल में कौन हैं क्या है और हमारे दिल में क्या है
और ना हम ये जान पाते हैं दूसरों के दिल में असल में क्या है
ये बात तो सिर्फ दिल हीं जाने इसीलिए तो हैं सब कहते की दिल की बातें दिल हीं जाने
इसीलिए तो इंसान दे धोखा रहा होता फिर भी न पता चलता यह बात
किसी दूसरे को और हो जाती ज़िंदगी बर्बाद जो फंस है जाता उसमे
जो करता है प्यार किसिसे बिना किए उसका इज़हार रखता अपना दिल में है
हो कर सामने जान ये हम नहीं पाते और अंजाने में देते हैं दिल उनका तोड़
और जो करते हैं हमारी परवाह बिना दिखाए बिना जताए होते
हर वक्त हमारे लिए परेशान लगी रहती उन्हे हमेशा हमारी चिंता
इस बात का गवा भी तो होता उनका दिल हीं है सामने वाले तो
सिर्फ उनकी हरकतों पर हीं गौर कर सकते हैं
दिल में है क्या ये बात तो दिल हीं जानता है उसमे प्यार, मोहब्बत, इश्क,
है या फिर है धोखा, फरेब, नफरत या फिर है परवाह और चिंता
इसीलिए तो जो रिश्ते हैं बने दिल से होते वो सब से मजबूत और वो
दो दिल एक दूसरे के बातें बिना बताए बिना लाए जुबान पर जान वो जाते
जो रिश्ते हैं जुड़े दिल से जाते वो टूटते नही आसानी से क्यों की होता उसमे भरोसा,
अपनापन जिसके लिए जान जाते हैं क्या सामने वाले के दिल में है
बिना पूछे उससे क्यों की दिल की बातें दिल हीं जाने।

