दिल कि मुरझाई कली !
दिल कि मुरझाई कली !
जो तूने दिया
वो दर्द काफ़ी हैं,
मेरे गुनाहो की
शायद यही माफ़ी हैं !
बस मेरी ख़ामोशी को
समझ जाना तुम,
यूँ ही ना बैठना
कही तन्हा गुमसुम !
ज़ब कभी बेचैनियाँ सताए
तो मिलने चली आना,
दिल कि मुरझाई
कली को फिर से खिलाना !
मैं तेरे इंतजार में
बैठा रहूंगा
प्लेटफॉर्म नम्बर तीन पे,
जल्दी आना हम दोनों
बैठेंगे विंडो वाली
सीट पे !
सफर में बोर होंगे ज़ब
तो मूवी देख लेंगे,
दिल को गर
कुछ ना भाया तो
गले लगके देख लेंगे !