दिल के एहसास
दिल के एहसास
कभी सोचा है तुमने भी
आखिर ऐसा क्यों है ?
क्या तुम भी मेरी बात से
कुछ इत्तेफ़ाक़ रखते हो?
मेरे दिल के एहसासों से
कहीं छुपे उन ख्यालों से,
क्या तुम भी वो महसूस करते हो?
जो बातें कुछ अनकही हैं
बैचैन हैं कुछ मेरे जज़बातोँ में
ये गुत्थी तुम सुलझा दो ना ,
क्या इस मुलाकात की रजा है
या सिर्फ मेरे लिए ही
ये इक सज़ा है,
क्या ये मेरा पाग़लपन है
या जागती अवस्था का
मात्र दिवास्वप्न है!