दिल जो कह ना सका
दिल जो कह ना सका
कुछ बातें थी अनकही
साँसे साॅंसोंसे उलझती रही
बिखरने लगे यादों के पल
अंजाने ख्वाब, रहे है छल
आॅंखोंमें है काँच के सपने
टुकड़े होकर, लगे चुभने
उनके इश्क में सिर्फ सजा मिले
और क्या हम करे शिकवे-गिले
साथ जिने-मरने की थी कसमें
मोहब्बत में निभाना चाहते थे रस्में
प्यार हमारा हो गया धुआँ
खुद की तक़दीरसे खेल बैठे जुआ
जिक्र के लिए सजदे में झुका
उनसे, दिल जो कह ना सका
