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Dr Jogender Singh(jogi)

Tragedy

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Dr Jogender Singh(jogi)

Tragedy

दीवाना अब्दुल्लाह

दीवाना अब्दुल्लाह

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तख्ती कीमत की माथे पर लगा,

गली गली घूमती भीड़।

इंसान पर कोई नज़र नहीं आता।


घर बन जाना मोहल्ले का,

हर तीज़/त्योहार पर,

अब वो पड़ोस नज़र नहीं आता।


दुःखी हर शख्स , खुशी से दूसरे की,

बेगानी शादी में दीवाना,

अब्दुल्लाह , अब नज़र नहीं आता।



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