दीवाना अब्दुल्लाह
दीवाना अब्दुल्लाह
तख्ती कीमत की माथे पर लगा,
गली गली घूमती भीड़।
इंसान पर कोई नज़र नहीं आता।
घर बन जाना मोहल्ले का,
हर तीज़/त्योहार पर,
अब वो पड़ोस नज़र नहीं आता।
दुःखी हर शख्स , खुशी से दूसरे की,
बेगानी शादी में दीवाना,
अब्दुल्लाह , अब नज़र नहीं आता।