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Sunil Kumar

Abstract Inspirational

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Sunil Kumar

Abstract Inspirational

दीप पर्व

दीप पर्व

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दीप पर्व अबकी जब मनाना तुम

एक दीप स्नेह का भी जलाना तुम। 

घर-आंगन दीपों से सजाना तुम

पर एक दीप अपनत्व का भी जलाना तुम।


भोग लक्ष्मी-गणेश को बेसक लगाना तुम

पर भूख किसी भूखे की भी मिटाना तुम।

खुशियां सिया राम घर वापसी की मनाना तुम

पर वनवास किसी और को न कराना तुम।


वचन सिया राम सा निभाना तुम

प्रीत भरत-लक्ष्मण सी लगाना तुम

दीप पर्व अबकी जब मनाना तुम।


कलंक किसी सिया पर न लगाना तुम

दिल किसी का न दुखाना तुम

दीप पर्व अबकी जब मनाना तुम।


धन-दौलत के खातिर 

अपनों को न ठुकराना तुम 

मार्ग सत्य का अपनाना तुम

दीप पर्व अबकी जब मनाना तुम।


दीप खुशियों के बेशक जलाना तुम 

पर दर्द भी किसी का मिटाना तुम।

राग-द्वेष सभी मिटाना तुम

दीप पर्व अबकी जब मनाना तुम।


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