दीदार ए जिंदगी
दीदार ए जिंदगी
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ख्वाहिशों को जिंदा रहने दो
जाने कब ऐ मुकम्मल हो जाए
रब के मेहर जाने कब
रोशनी बन जाए
क्या पत्ता
जीवन की आधार ए हवा
सांस बनके न जाने कब
जिनेकी वजह बन जाए
ए दो हात जो काम करने की
आधी हो चुकी है
न जाने कब ऊपर उठकर
दुआ कि बौछार कर जाए
ऐ जिंदगी तुम कितनी खुश नसीब हो
जिसको उम्मीद की आश न थी
उसके किस्मत जग मगा गए।