धूम्रपान
धूम्रपान
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ये धुआं उड़ाते लोग ,
ये धुएं में उड़ते लोग ,
बच्चों की किलकारी को भी,
सावन की फुलवारी को भी ,
धुआं धुआं बनाते लोग ,
ये धुआं उड़ाते लोग,
ये धुएं में उड़ते लोग।
चरस गांजा को रोज फूंकते,
घर घर क्लेश करते,
शराब पीकर नशा करते,
सड़कों में पड़े रहते,
अपने शरीर को नुक़सान पहुंचाकर ,
दूसरों का दिल दूखाते ,
ये धुआं उड़ाते लोग,
ये धुएं में उड़ते लोग।
कोई खुशी तो कोई ग़म जलता,
लम्हा लम्हा जीवन पिघलता,
अपने ही चेहरे जलाते लोग ,
ये धुआं उड़ाते लोग,
ये धुएं में उड़ते लोग।