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Gunjan Gayal

Tragedy

4  

Gunjan Gayal

Tragedy

धूम्रपान

धूम्रपान

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ये धुआं उड़ाते लोग ,

ये धुएं में उड़ते लोग ,

बच्चों की किलकारी को भी,

सावन की फुलवारी को भी ,

धुआं धुआं बनाते लोग ,

ये धुआं उड़ाते लोग,

ये धुएं में उड़ते लोग।

चरस गांजा को रोज फूंकते,

घर घर क्लेश करते,

शराब पीकर नशा करते,

सड़कों में पड़े रहते,

अपने शरीर को नुक़सान पहुंचाकर ,

दूसरों का दिल दूखाते ,

ये धुआं उड़ाते लोग,

ये धुएं में उड़ते लोग।

कोई खुशी तो कोई ग़म जलता,

लम्हा लम्हा जीवन पिघलता,

अपने ही चेहरे जलाते लोग ,

ये धुआं उड़ाते लोग,

ये धुएं में उड़ते लोग।



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