धर्म मानव के साथ होता है
धर्म मानव के साथ होता है
धर्म मानव के साथ होता है,
आस्था के नाम सर झुका होता है,
आदमी कर्म का आत्मसात होता है,
दया धर्म मूल उपकार होता है,
मर्यादा में जीना इंसानियत है,
अमर्यादित लज्जा से हैवानियत है,
कर्म से परिणाम तक मानव ही झेलता है,
अंत तक मानव का धर्म ही शांति चोला है,
विनय अमन शांति धर्म मानव का होता है,
ना कि हिंसा मानव समाज का धर्म होता है।
धर्म उपकार का और आस्था मन की शांति है,
बंद करो जातीय धर्मी हिंसा की जो क्रांति है।