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Dharm Veer Raika

Abstract Children Stories

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Dharm Veer Raika

Abstract Children Stories

धरा सच उगलती......।

धरा सच उगलती......।

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सदाकत है कि यह धरा भी गाती है,

कण– कण में शूरवीरों की गाथा समाती है।


मेरे इस देश की मिट्टी को नमन करता हूं,

आहलादित हूं कि इसमें ही सोता हूं।


जिम्मेवारियों का पाठ ना पढ़ाया जाता है,

कुछ अनजान कहे तो कुछ पहचान लेता हैं।


कोई नजारा देख के हो जाता है हज़म,

देख रंग रंगीला मत कर आंखें नम।


विवेक है इस देश के जख्मों का,

तहरीर करता हूं इस नजारे का।



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