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Vijay Kumar उपनाम "साखी"

Tragedy

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Vijay Kumar उपनाम "साखी"

Tragedy

धन और मन

धन और मन

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सब धन जमा करते हैं सब धन मण करते हैं

कोई दिख न रहा ऐसा,जिसे न चाहे कोई पैसा 

सबको ये बात मालूम हैं,हमे पीना मौत का सूप हैं,

फिर भी लोग कहां डरते हैं पैसे को सबकुछ समझते हैं

फिऱ भी सब शूल चुनते हैं फूल सदा ही उन्हें चुभते हैं

ये धन का मोह छोड़ साखी, मिलेगी ख़ुदा की तुझे पाती,

उन्हें मूर्ति में भगवान दिखते हैं ख़ुद को उन्हे समर्पित करते हैं

भगवान क़भी धन से नही ,सच्चे मन से हमे मिलते हैं!



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