धड़कते दिल को और धड़का के
धड़कते दिल को और धड़का के
धड़कते दिल को और धड़का के, क्या मिला तुमको ?
खबर ज़माने को हो गई ....यूँ ना सता हमको।
तेरी चाहत को सबसे छुपा के, चलते थे,
शोर धड़कनों का मचा के, ना फँसा हमको।
जो ख्वाबों का मंजर तुम्हारे संग, कभी देखा था,
उसे पूरा होने से पहले ऐसे, ना दिखला जग को।
इस जवानी पर जोर मेरा नहीं, तो तेरा भी नहीं,
ये कब बहक जाए इसका, रौब ना दिखा सबको।
पिघलते मोम की तरह मैं, तेरे संग चिपकी,
धड़कते दिल को अपनी धड़कन में,
मिला दे जगह हमको।।

