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Vinay Panda

Tragedy

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Vinay Panda

Tragedy

दगाबाज़ यार ..!

दगाबाज़ यार ..!

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हँसकर पूछा जब उसने कल मेरा पता

बोल पाते कुछ हम वो लापता हो गयी।


बैठा हूँ फिर भी लिये फूल हाथों में

बेवफ़ा फागुन में जो दग़ा दे गयी।


दिल तो नादाँ था जिसने चाहा उसे

रूठकर मुझसे ख़ुद एक अदा हो गयी।


दिल ढूंढे उसे कब ग़म से ज़मानत मिले

तोड़कर प्यार वो दिल को सजा दे गयी।



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