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Mukesh Kumar Modi

Tragedy

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Mukesh Kumar Modi

Tragedy

आतंकवाद मिटाओ

आतंकवाद मिटाओ

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हाथ में लेकर घूम रहे हो आतंकवाद का खंजर

हर रोज बनाते जा रहे अपने देश को तुम बंजर


तुम्हारे दिलो दिमाग में ये कैसा पागलपन छाया

खुद को बर्बाद करने का कारण समझ न आया


खून की होली खेलने को तुम कहते हो जिहाद

मौत के तुम सौदागर हो करते हो जीवन बर्बाद


मासूमों को बहकाकर उन्हें आतंकवादी बनाते

उनका जीवन मिटाकर ये कैसा आतंक मचाते


बेहद खून खराबा करके लेते हो खुदा का नाम

मजहब नहीं तुम्हारा करते हो कौम को बदनाम


कहीं भी नजर न आती तुम लोगों में इंसानियत

तुम्हारे अन्दर हमें नजर आती केवल हैवानियत


दहशतगर्दी से तुम बोलो कौनसा अमन लाओगे

जैसा करोगे औरों के साथ वैसा ही तुम पाओगे


छोड़ो ये दहशतगर्दी तुम छोड़ दो ये आतंकवाद

नफरत की आग लगाकर ना हो पाओगे आबाद




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