देश यह पागलखाना है
देश यह पागलखाना है
फिल्मों का, क्रिकेट का, जितना यह दीवाना है,
कहां बताओ ऐसा कोई देश बिराना है ?
सच से ज्यादा झूठ, कला में छल का मिश्रण है,
क्या क्रिकेट क्या फिल्म मात्र मन का बहलाना है।
बाहर चमक-दमक है, भीतर काफी काला है,
नए व्यक्ति को यहां असंभव पैर जमाना है।
खेल क्रिकेट कुलीनों का था समय काटने का,
जनहित कुछ भी नहीं व्यर्थ में समय गंवाना है।
लत फिल्मों की या क्रिकेट की लगे किशोरों को,
इन्हें नशे में रखकर उनको माल कमाना है।
रहे उपेक्षित दमखम प्रतिभा वाले खेल यहां,
क्योंकि कुलीनों का इनमें मुश्किल टिक पाना है।
जनता झांसे झूठ कुलीनों के, में भरमाई,
कहना गलत नहीं कि देश यह पागलखाना है।