देश का गुनहगार
देश का गुनहगार
है कौन असली गुनाहगार देश का कोई बतलाता नहीं
सियासत नेता गद्दार या आतंकवाद कोई समझाता नहीं।
हर कोई एक दूसरे को कसूरवार यहाँ खूब ठहरा रहा है
शहीदों की चीता बेशर्म राजनीति पर रोटी सेंक रहा है।
अंदर छिपा है दुश्मन गद्दार खुलकर सामने आता नहीं।
बेच शर्मोहया दुश्मनों करते महिमा मंडित शान से
आतंकियों को देने सुरक्षा वो बैठे हैं सारे जिद ठान के।
माँओं, विधवाओ, बहनों आज शहीदों को कोई पूछता नहीं।
आखिर क्या वजह रही हमने ये हादसा क्यों होने दिया
चिथड़ों तिरंगे लिपटी शहीदों का शव रख रोने क्यों दिया।
लेने जिम्मेवारियाँ गुनाहों की अपनी सामने कोई आता नहीं।
देश के बच्चे-बच्चे का बदले की आग में खून खौल रहा
करने दो-दो हाथ दुश्मनों हर कोई भुजाएँ तौल रहा।
सिलसिला शहादत जवानों अब कोई क्यो रोकता नहीं।
बढ़ती देख देश ताकत अमनो चैन दुश्मन बौखलाया है
मिला गद्दारों, नमकहरामों उसने हमें बारूद उड़ाया है।
चिंतन नहीं, मंथन नहीं, माकूल जवाब कोई देता नहीं।।