देश भक्ति ( सैनिक )
देश भक्ति ( सैनिक )


बीड़ा उठाया जूगनुओं ने, तम को हम निस्तेज कर दे।
भाव यदि उर में भरा हो, तो धरा गुणगान कर दे।।
भर रहा झोली यहाँ क्यूँ, साथ में जाएगा क्या?
छोटा सा जीवन मिला है, तू जरा सा पूण्य कर ले।।
धन्य धन्य यह पावन माटी, महिमा जिसकी अपरम्पार।
सरहद के रखवाले सैनिक, उनको मेरा नमन हजार।।
तुम ही भारत के सपूत हो, तुमसे ही है गौरव गान।
हे धर्मवीर हे कर्मवीर, तुमसे जिन्दा हिन्दुस्तान।।
वर्षा गर्मी शरद ऋतु में, करते भारत को आबाद।
सीमाओं पर साँस थामकर, लड़ने वाले जिन्दाबाद।।
अपनी मातृभूमि की खातिर, त्याग चले माता का द्वार।
सत्कर्मों की पहनी माला, चंचल मन रखते अधिकार।।
भूल गये निज ख़ुशियाँ सारी, सेवा में ही हर्ष अपार।
जान हथेली पर रख लड़ते, करते दुश्मन का संहार।।
तुम ही भारत के सपूत हो, तुमसे ही है गौरवगान।
हे धीरवीर हे कर्मवीर!, तुमसे जिन्दा हिन्दुस्तान।।