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Randheer Rahbar

Tragedy

4.9  

Randheer Rahbar

Tragedy

देखो तो !

देखो तो !

1 min
382


देखो तो चेहरा ग़रीब का

झुर्रियां नज़र आएँगी

झुर्रियां नहीं वो,

जाल है नसीब का


होंगी मस्तक पर गहरी सोच,

हृदय में होगा संकोच

उदास नेत्रों के दर्पण में,

प्रपंचात्मक विश्व की,

छवि दिखाई देगी

जो हैं कुसूरवार उस ख़िताब का,

महसूस करो उसके अधरों पर,

दबी उत्सुक पुकार को

शिकवा है जिसमें ग़रीब का


देखो तो !

तन पर उसके जीर्ण - शीर्ण वस्त्र,

जैसे सूखा पेड़ बिन पत्र

देख यह, अहम् के तुम्हारे,

चीथड़े हो जायेंगे सहस्त्र

क्षीण महसूस करोगे खुद को,

उसके समक्ष


देखो तो ! उसके सुडोल हाथों को,

मेहनतकश रहता दिन भर

मिलता नहीं टुकड़ा यकीन का,

यकीन करो !

नाता है उससे तुम्हारा करीब का,

देखो तो चेहरा ग़रीब का   



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