देखो अब मत डरना
देखो अब मत डरना
अब नहीं देखना दिवास्वप्न
ना डरना तुम
कठोर यथार्थ के धरातल पर
पांव रखने से
न पलट कर देखना
कि ये किसके पीछा करते
कदमों की आहट है?
पीछे से आती आवाज़ों को
पीछे ही छोड़ देना ...
चलो, दौड़ो
गिर जाना तो फिर उठना
बिना किसी सहारे!
सहारे ढूँढ़ोगी तो
राह भटका दी जाओगी
ऊँचा उठो जितना उठ सको
खुद के पंजों पर !
किसी के कंधों पर
पाँव रख उसे सीढ़ी न बनाना
कि वो कन्धे जब दुखने लगें
उनकी हाय कहीं तुम्हारी
जीत की कहानी पर
दाग न लगा दे!
तुम चलना अकेले
अनवरत
कभी दौड़ना, कभी थकना
कभी नाचना, कभी रुक जाना
जरा सा,थोड़ी देर की खातिर
पर जो करना खुद से,
खुद के लिये, खुद में खोकर
खुद जैसा बनना
देखो अब मत डरना
