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Jahanvi Tiwari

Romance

4.8  

Jahanvi Tiwari

Romance

डर

डर

1 min
290


" था तुझे खोने का "

डर इसलिए तेरी हर बात मान लेती थी ,

पनी गलती ना होते हुए भी खुद को गलत जान लेती थी,

कितना डरा देता था मुझे , एक तुझे खोने का डर,

लेकिन तुमको नहीं थी मेरी परवाह तुम जीते थे होकर निडर,,

तुम्हे नहीं थी पर वाह, मेरी मैं हंसू या रोऊँ बस तुम्हें इतना चाहिए था

तुम्हें जब भी मेरी जरूरत हो , मैं मुस्कुरा कर तुम्हारे साथ खड़ी हूं,

दिल में दर्द लिए हुए होठों से मुस्कुरा लेती थी।

"था तुझे खोने का डर "

इसलिए तेरी बेफिजूल बातें भी मान लेती थी ,

तुम्हारी किसी बात पर इंकार का मुझे हक नहीं,

तू ही सही होते हमेशा इसमें कोई शक नहीं,

है कभी तुम प्यार भी करोगे मुझसे ,

दिल में दफन यह अरमान कर लेती थी।

"था तुझे खोने का डर"

इसलिए तेरी बेफिजूल बातें भी मान लेती थी,

पर अब हूं मैं बेखौफ तुझे खोने से,,

फर्क नहीं पड़ता तेरे दुखी या खुश होने से,

तेरी बेरुखी ने मुझे बहुत मजबूत बनाया,

खुद के लिए जीना सिखाया

तेरी आंखों में खुद के लिए अब नफरत पहचान लेती थी।

" था तुझे खोने का डर "

इसलिए तेरी नफरत को भी प्यार मान लेती थी,

" पर अब मैं हूं निडर नहीं है अब तुझे खोने का डर नहीं "


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